मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
खुशियों से मिलना भूल गए
तुम इतना क्यूँ हमसे दूर गए
कोई किरण इक दिन आएगी
तुम तक हमको ले के जायेगी
मैं राह पे आँख बिछाके ही सोऊँ
मैं राह पे आँख बिछाके ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
पंख अगर होते, उड़ के चला मैं आता
रुकता न एक पल
क़ैद ये कैसी ख़ुदा, साँस भी रूठी है
सीने में आजकल
आजकल आजकल आजकल
आजकल आजकल आजकल
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म
---
Dard - Sonu Nigam
Compartir
※ Letrista
LUKE STEELE, JOHN HILL, NICK LITTLEMORE, PETER MAYES, JONATHAN SLOAN